Last Updated on May 22, 2024 by
दोस्तों कुछ लोग होते हैं जो भगवान को कोश्ते हैं कि भगवान ने उन्हें इस काबिल नहीं बनाया की वह भी अपने लक्ष्य को हासिल कर पाए क्योंकि कुछ लोग होते हैं जो जन्म से ही विकलांग होते हैं अंधे होते हैं या फिर कोई भी समस्या होती है।
ऐसे कुछ लोग जो खुद की अवस्था को देखकर हार मान जाते हैं और अपनी जिंदगी में कुछ नहीं कर पाते हैं वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जिन्हें सिर्फ अपना लक्ष्य दिखाई देता है और वह अपने लक्ष्य की आगे कोई भी बहानेबाजी या खुद की कोई भी परेशानी नहीं आने देते हैं और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी प्रयास करते हैं।
आज हम आपको जिस आईएएस बेटी के बारे में बताने वाले हैं वह जन्म से विकलांग थी लेकिन उसने अपनी विकलांगता को कभी भी अपने लक्ष्य के आगे नहीं आने दिया और अपनी मेहनत के बलबूते झुग्गी बस्ती से आईएएस बनने का लक्ष्य पूरा किया।
उम्मुल खेर का जन्म कब और कहा हुआ?
उम्मूल खेर का जन्म मारवाड़ में हुआ था जोकि राजस्थान प्रांत में स्थित स्थित है। उम्मुल खेर की वर्तमान आयु की बात करें तो वह 32 साल की हो चुकी हैं वही उम्मूल खैर की हाइट की बात करें तो उनकी हाइट 4 फुट 8 इंच है।
उम्मूल खेर का परिवारिक विवरण
उम्मूल खैर का परिवार बहुत करीब था और वह शुरुआत से ही गरीबी की मार झेल रहा था क्योंकि ना तो इनके पिताजी शिक्षित और ना ही इनकी माताजी जिस वजह से वह अपने घर का गुजारा बसेरा मजदूरी के सहारे ही कर रहे थे। लेकिन एक समय में उनकी स्थिति ऐसी हो गई थी कि उनके पास खुद का गुजारा बसेरा करने के लिए भी पैसे नहीं थे जिसके चलते उन्हें राजस्थान से दिल्ली में शिफ्ट होना पड़ा।
जब उम्मुल अपने परिवार के साथ दिल्ली में आई तो वह महज 5 साल की थी उसे दुनियादारी के बारे में कुछ भी नहीं पता था और उनके पास ना तो रहने के लिए घर था इसके चलते वह झुग्गी झोपड़ियों में ही खुद का गुजारा करते थे और बारिश के समय उनकी हालत बहुत खराब हो जाती थी क्योंकि उन्होंने एक तख्ता और पट्टी के सहारे ही अपने रहने का आवास बना रखा था जब बारिश होती तो वहां से पानी अंदर की तरफ आता।
उम्मूल खैर के सामने दूसरी बड़ी चुनौती यह आई कि उनके पिता जब दिल्ली में आए तो उन्होंने उनकी मां को छोड़ दिया और किसी दूसरी औरत से शादी कर ली। उनकी सौतेली मां इनके साथ बहुत बुरा बर्ताव करती थी और वह नहीं चाहती थी कि यह आगे पढ़ें। लेकिन उम्मुल का सपना था कि वह पढ़ कर कुछ बड़ा करें।
उम्मूल खेर की शैक्षिक विवरण
उम्मूल खैर बचपन से ही बहुत होशियार थी लेकिन परिवार की स्थिति अच्छी नहीं होने के चलते उनकी शिक्षा सही तरीके से संपन्न नहीं हो पाई लेकिन जब वह दिल्ली में कहने लगे तब उन्होंने वहां से अपनी पढ़ाई को जारी रखा जब उन्होंने दसवीं कक्षा पास की तरह बच्चों को ट्यूशन भी करवाती थी जिससे उनका खर्चा निकल जाता था उसके बाद उन्हें एक ट्रस्ट के द्वारा स्कॉलरशिप मिली।
जिसके बाद उन्होंने अपनी 12वीं की पढ़ाई भी कंप्लीट कर ली और इन्होंने 12वीं कक्षा में टॉप किया जिसके बाद इनका पढ़ाई के प्रति और भी जुनून बढ़ गया और उन्होंने आगे बढ़ने की सोची लेकिन इनके सामने एक समस्या यह थी कि इनके पास जो सब्जेक्ट थे वह प्रैक्टिकल सब्जेक्ट थे और प्रैक्टिकल वाले स्टूडेंट को शाम तक कॉलेज में ही रुकना पड़ता था लेकिन इनके सामने यह समस्या है कि यह शाम को तो स्टूडेंट को ट्यूशन करवाती थी।
जब इनकी ग्रेजुएशन कंप्लीट हो गई तब इन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया वहां से इन्होंने अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन पूरी की इस बीच में के सामने बहुत सी परेशानियां आई।
उम्मुल खेर का आईएएस बनने तक का सफर
अमूल खेर का जीवन 12वीं क्लास तक तो बहुत ही बुरे दौर में गुजरा था लेकिन उन्होंने 12वीं के बाद बच्चों को पढ़ाना भी शुरू कर दिया था और ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी कर रही थी। लेकिन अपने एक इंटरव्यू में वह बताती हैं कि उनके जीवन में सबसे ज्यादा परिवर्तन तब आया जब वह दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही थी वहां पर उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला।
वह बताती हैं कि उन्होंने वहां के विकलांग बच्चों के लिए भी बहुत से कार्यक्रम चलाएं हैं जिनसे उन्हें आगे बढ़ने का हौसला मिल सके। उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों को लोगों ने बहुत सहारा और देखते ही देखते वह सभी के लिए एक मसीहा बन चुकी थी। इसके बाद उनके काम को देखते हुए उन्हें कई ट्रस्ट के द्वारा विदेशों में भी घूमने का मौका मिला वहां पर भी उन्होंने बहुत से लोगों के संपर्क में रहकर अच्छे अच्छे काम किए।
लेकिन जब वह भारत देश लौटे तब उनके मन में ख्याल आया कि वह अपने देश की सेवा करना चाहती हैं और उन्होंने इसी बात को ध्यान में रखते हुए सिविल सर्विस एग्जाम की तैयारी करना शुरू कर दिया वह अपने पहले ही प्रयास में उन्होंने यूपीएससी जैसे बड़े एग्जाम में सफलता हासिल कर ली और पिछले ही साल इन्होने यह सफलता हासिल की थी।
जब उम्मुल खेर का भारतीय सिविल सर्विस में चयन हो गया उसके बाद उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था और उन्होंने उस दिन खुद को सलूट किया और सबसे पहले उन्होंने अपनी मम्मी पापा को फोन लगाया वह अपनी सफलता के बारे में बताया उनके माता-पिता भी उस दिन अपनी बच्ची पर गर्व कर रहे थे।
Conclusion
दोस्तों उम्मुल खेर उन सभी लड़कियों और महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है जो इतनी मुश्किलों को झेलने के बाद भी कभी हार नहीं मानी और अंत में अपने लक्ष्य को हासिल किया। यह उन लोगों के लिए भी बड़ी सीख है जो खुद को कोसते हैं कि वह जीवन में कुछ नहीं कर पाते हैं यदि मनुष्य मेहनत करें तो दुनिया का ऐसा कोई काम नहीं है जो वह नहीं कर सकता।